Machis to Yu hi Badnam Hai
Machis to Yu hi Badnam Hai
माचिस तो यूँ ही बदनाम है हुजुर,
हमारे तेवर तो
आज भी आग लगाते है
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मेरे स्टेटस नशें की तरह होते है,
एक बार आदत पड़
गई तो
बिना पढ़े रह
पाना मुश्किल है
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मुँह पर सच
बोलने की आदत हैं मुझे इसलिए लोग मुझें बदतमीज कहते है।
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भगवान मेरे दुश्मनों को मेरी सफ़लता देखने के लिए लम्बी उम्र देना।
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किसी पर शक करके बर्बाद होने से अच्छा है, किसी पर यकीन करके बर्बाद जो जाओ
तु क्या हमारी बराबरी करेगी पगली,
हमारी तो नींद
में खींची हुई फ़ोटो
भी लोगों की लिए
पोज़ बन जाती है
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समझा दो उन समझदारों को…कि कातिलों की गली में भी
दहशत हमारे ही नाम की ही है
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बड़ी से बड़ी हस्ती मिट गयी मुझे झुकाने मे
बेटा तू तो कोशिश भी मत करना
तेरी उम्र गुजर
जायगी मुझे गिराने मे
औकात की बात मत कर ऐ दोस्त..लोग तेरी बन्दूक
से ज्यादा मेरे आँखों से डरते है
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नाम बदनाम होने की चिंता छोड़ दी मैंने
अब जब गुनाह
होगा तो मशहूर भी तो होगे।
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हम भी खुद को इतना बदल लेंगे कि
लोग तरस जायेंगे
पहले जैसे देखने के लिए
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होता है तो होने दो मेरे कत्ल का सौदा, मुझे भी तो पता चले बज़ार में हमारी क़ीमत
क्या है
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अच्छे होते हैं बुरे लोग…जो अच्छा होने का नाटक तो नहीं करते॥
इन्कार है जिन्हे आज मुझसे मेरा वक्त देखकर,
मै खूद को इतना
काबील बनाउंगा वो मिलेंगे मूझसे वक्त लेकर!
इरादे सब मेरे साफ़ होते हैं…….इसीलिए, लोग अक्सर मेरे ख़िलाफ़ होते हैँ…
आदत नई हमे पीठ पीछे वार करने की !
दो शब्द काम
बोलते है पर सामने बोलते है !!
अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उंगलिया,
जिनकी हमें छूने
की औकात नहीं होती।
क्यो ना गुरूर करू मै अपने आप पे….
मुझे उसने चाहा
जिसके चाहने वाले हजारो थे!
मेरे अकेलेपन का मज़ाक उड़ाने वालो ये तो
बताओ जिस भीड़ में तुम खड़े हो उसमें तुम्हारा कौन अपना है?
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मैं अपने
दुश्मनों को कुत्तों की तरह समझता हूँ जब भी भौंकते है मैं रोटी डाल आता हूँ
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मेरी बदमाशी का अंदाज़ा इससे लगाओ जब मैं
शरीफ था तब भी लोग मुझे बदमाश ही कहते थे
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मुझको क्या डराओगे मौत से मैं तो पैदा ही
क़ातिलों की गली में हुआ हूँ
अगर मैं औकात देखर दोस्ती करता तो तुम मेरे
आस पास भी नहीं होते
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शेरों से सीखा है खामोश रह कर शिकार करना, क्यूंकि दहाड़ मार कर शेर कभी शिकार नहीं
करता
हम जैसा बनने की कोशिश छोड़ दो, शेर पैदा होते हैं …. बनाए नहीं जाते
आज कल वो लोग भी कहते है कि हमारा तो नाम ही
काफी है…
जिनको गली में 2 लोग भी नही जानते है
हम उन लोगो में से नहीं है जो गूगल पे स्टेटस
ढूँढ़ते है,
हम उन लोगो में
से है जिनके स्टेटस लोग गूगल पे ढूँढ़ते है
नहीं जीना मुझे अब उस नकली अपनों के मेले में
…खुश रहने की कोशिश कर लूंगा खुद हीं अकेले
में
लोग अपनी औकात
दिखा ही देते है चाहे जितनी मर्जी शिद्दत से रिश्ते निभा लो
जो कहते थे रंगों से डर लगता है मुझे , मैंने उन्हें पल पल रंग बदलते देखा है
आजकल रिश्ते झूठ
बोलने से नहीं सच बोलने से टूट जाते हैं
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एक दिन अपनी भी Entry शेर जैसी होगी ..जब शोर कम और खौफ ज्यादा
होगा
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