Wo din gye kaha
वह दिन गए कहाँ
वह दिन गए कहाँ बताओ तो ज़रा ,
उन्ही चाहतों को बुलाओ तो ज़रा ,
हम खिल उठेंगे फूलों की तरह ,
ख्यालों में कभी मुस्कुराओ तो ज़रा ,
अपनी मंज़िल फिर से एक हो जायेगी ए सनम ,
इन रास्तों को एक बार साथ मिलाओ तो ज़रा ,
मुद्दत से है चाहत आपके साथ जीने की ,
छूटा हुआ हाथ मेरी तरफ बढ़ाओ तो ज़रा ,
बे -मुश्किल उसी मोड़ पर हमें लायी चाहत ,
दोनों के बीच चाहत के फासले मिटाओ तो ज़रा

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