Wo din gye kaha

वह दिन गए कहाँ 

Chahat
वह  दिन  गए  कहाँ  बताओ  तो   ज़रा ,
उन्ही  चाहतों  को  बुलाओ  तो   ज़रा ,
हम  खिल  उठेंगे  फूलों  की  तरह ,
ख्यालों  में  कभी  मुस्कुराओ  तो   ज़रा ,
अपनी  मंज़िल  फिर  से  एक  हो  जायेगी  ए सनम ,
इन  रास्तों  को  एक  बार  साथ  मिलाओ  तो  ज़रा ,
मुद्दत  से  है  चाहत  आपके  साथ  जीने  की ,
छूटा  हुआ  हाथ  मेरी  तरफ  बढ़ाओ  तो   ज़रा ,
बे -मुश्किल  उसी  मोड़  पर  हमें  लायी  चाहत ,
दोनों  के  बीच  चाहत  के  फासले  मिटाओ  तो  ज़रा 

--------Chahat Shayari------


No comments

Theme images by saw. Powered by Blogger.