Tujhse Ishq sikhna bhul gye

 तुझसे इश्क़ सीखना भूल गए 

सुना है शोर कम हो गयी है बाजारों की 
जब से तेरी महफ़िल में हम चीखना भूल गए,
नुखसत जंहा से ये इश्क़ हो गया 
जब से तेरे गम में हम लिखना भूल गए,
यु तो हर एक कंकड़ से ,
मैं इश्क़ का इल्म चुराया करता था,
अब सुनी हो गयी किताबो का हर एक जर्रा 
जबसे इन बंद ताबूतों में तुझसे इश्क़ सीखना भूल गए 

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