Waqt bhi sharminda hai
वक़्त भी शर्मिंदा है
Intejar Shayari
तेरे आने की उम्मीद
आज भी दिल में ज़िंदा है ,
इस कदर इंतजार किया है तेरा ,
की वक़्त भी शर्मिंदा है
इंतजार में हूँ
ये कैसी मोहब्बत है की
मैं किस खुमार में हूँ,
वो आ के जा चुकी हैं
मैं फिर भी इंतजार में हूँ
थोड़ा इंतजार कर
हालात कह रहे है ,
उनसे मुलाकात नहीं मुमकिन ,
लेकिन उम्मीद कह रही है
थोड़ा इंतजार कर
इंतजार उसका है
मेरे दिल की उम्मीदों का
हौसला तो देखो ,
इंतजार उसका है ,
जिसको मेरा एहसास तक नहीं
अजीब नशा हैं
पलकों पे रुका है समुन्द्र खुमार का
कितना अजीब नशा हैं तेरे इंतजार का
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