Zindgi ke yaro abhi hisab baki hai
जिंदगी के यारों अभी हिसाब बाकि हैं
पैमानों में अब तलक शराब बाकि हैं
जिंदगी के यारों अभी हिसाब बाकि हैं
मानलिया की हैं , यें महफ़िल शरीफो की
खुलना कईओ के अभी नकाब बाकि हैं
मैं अपनी गलती से सबक सिख लेता हूँ
मुझको अभी पढ़ना कई किताब बाकि हैं
हर-दिन करता मैं रहा सवाल जिंदगी से
पर अभी आना तो कई जवाब बाकि हैं
काँटों पे मैं गुजर तो दी ज़िंदगी पर
राज को पाना अभी गुलाब बाकि हैं
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