Kaise bhul jaun un dosto ki yaari
कैसे भूल जाऊँ मैं उन दोस्तों की यारी
Dost to Dost hi Hote Hai
भूलने को तो भूल जाऊ
अपने ज़िंदगी का हर एक लम्हा मगर,
कैसे भूल जाऊँ उन दोस्तों की मक्कारी
जिसने तड़पने को तनहा छोड़ दिया ,
और कैसे भूल जाऊँ मैं उन दोस्तों की यारी
जिसने डूबती कस्ती का रुख मोड़ दिया
ज़िंदगी में दोस्त तो हजारो बन गए
मगर सफर में साथ
कुछ एक ने निभाया
जरूरतों पर सलाह तो सबने दिया
पर मुसीबतो में हाथ
किसी ने बढ़ाया
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