Bachchapan ki Yade
वो भी क्या दिन थे
Bachchapan ki Yade
वो भी क्या दिन थे
छत पे जाना
कबूतरों को उड़ाना
फिर उन्हें वापस बुलाना
अपने हथेली पे बिठा के
प्यार से दाना खिलाना
जब कभी वो आसमानो में खो जाते
तो ऐसा लगता उनकी आस में हम सपनो में खो जाते
उनकी याद में पुरे दिन आकाश में आँखे बिछाना
कभी छत पे जाना तो कभी नजरे आसमा में उठाना
वो भी क्या दिन थे
एक वक़्त था
जब ज़िंदगी गुजरती थी
अपनों को हसने और हँसाने में
और आज एक वक़्त है
जो ज़िंदगी गुजरती है कागज के
टुकड़े कमाने मे
#ChildhoodShayari #Bachchapankiyade
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