En Barish ke bundo ne

En Barish ke bundo ne

इन बारिश के बूंदो ने खुदमे 
तुम्हारी पहचान छुपाई हैं 
मेरी हर ख़ामोशी में अक्सर 
मुझे तुमसे मिलाई हैं ,
वैसे तो कोई शौक नहीं बारिस में भींग जाने का मगर 
जब जब इसकी बून्द मेरे चेहरे से टकराई है 
तब तब मुझे तुम्हारी याद आयी है 

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