Corona poem in hindi

कोरोना चालीसा

Corona

कोरोना चालीसा

 हे जिनपिंग ! चीन के स्वामी  !

तुम तो निकले , बड़े हरामी   !


 कोरोना के पालन कर्ता    !

मिल जाओ तो बना दे भरता   !


कोई मुल्क नहीं हैं बाकी     !

जंहा न मिलती इसकी झांकी  !


 लॉक हुए हैं घर में अपने   !

आजादी के देखें सपने   !

 

पत्नी कोसे बच्चा रोये   !

जिनपिंग नाश तुम्हारा होए  !

 

जो वुहान से भेजा कीड़ा  !

भोग रहा जग उसकी पीड़ा  !

 

बिमारी तुमने ही फैलाई !

बेच रहे हो अब खुद ही दवाई !

 

अरे मौत के सौदागर सुन !

देह में तेरी लग जाए घुन !

 

काज तेरे सब विश्व अंत को !

आग लगे तेरे वामपंथ को  !

 

छोटी आँखे वाले चीनी !

तूने सबकी नींदे छीनी !

 

घर भीतर की यही कहानी !

रस्साकस्सी खींचातानी !

 

पति पर ४० दिन हैं भारी !

पत्नी के भी निकली दाढ़ी !

 

काली रूप खोल के केशा !

बोल रही हैं शब्द विशेषा !

 

वो कहती हैं , ये सुनता हैं !

बाकी जग तो सर धुनता हैं !

 

होता हर घर घर यही तमाशा !

खग जाने खग ही की भाषा !

 

सुन कर उसको दिग्गज डोले !

बेचारा पति कुछ न बोले !

 

दुःख सतावें नाना भांति !

छत पे नहीं पड़ोसन आती !

 

प्रेम का तारा कब का डूबा !

दिखी नहीं कब से महबूबा !

 

कोरोना के बने बाराती !

बाँट रहे हैं इसे जमाती !

 

उधर डॉक्टर लगे हुए हैं !

24 घंटे जगे हुए हैं !

 

कुत्ते घूमे गली डगर में !

नहीं आदमी कही नगर में !

 

बंद बजारे बंद दुकाने !

सिगरेट खातिर सड़के छाने !

 

एक हो गयी दो दो पीढ़ी !

पिता पुत्र से मांगे बीड़ी !

 

मोदी जी कर लो तयारी !

भीड़ बढ़ेगी एकदम भरी !

 

चीन से आगे हम जायेंगे !

विश्व विजेता कहलायेंगे !

 

घर की फुर्सत रंग लाएगी !

हमको वो दिन दिखलायेगी !

 

कीर्तिमान हम गढ़ जायेंगे !

१० करोड़ तो बढ़ जायेंगे !

 

घर में लेटे लेटे ऊबे !

सूरज कब निकले कब डूबे !

 

दिनचर्या हैं भांग हमारी !

सुनते रहते पलंग पे गारी !

 

हारेगा एक दिन कोरोना !

बंद करेंगे बर्तन धोना !

 

झाड़ू पोंछा करते-करते !

जिन्दा हैं बस मरते-मरते !

 

कुर्सी याद बहुत आती हैं !

आँखों में आंसू लाती हैं !

 

हालातो पे करके काबू !

आफिस घर ले जाएंगे बाबू !

 

डाउन होकर लॉक हुए हैं !

हम एकदम से शौक हुए हैं !

बहार जाने से डरते हैं !

कूलर में पानी भरते हैं !

 

कोरोना का चीन में डेरा !

पुरे विश्व को इसने घेरा !

 

भारत में आके हारेगा !

सयम ही इसको मरेगा !

 

पढ़े नित्य जो ये पढ़े चालीसा !

वही निपोरे अपनी खिशा !

 

40 दिन जो नित्य रटेगा !

न भरी जवानी टिकट कटेगा !

 

चीन तनय संकट करन, भीषड़ रूप कुरूप !

अंधकार को छंटती , बस संयम की धुप !

 हे, कोरोना नाम, स्वाहा !

 

ले चप्पल हाथ में ,

धर जिनपिंग के माथ !

करें पटा पट ध्वनि मधुर ,

भाग कोरोना भाग !

 

बंद रहे ekant में कुछ दिन निज निज गेह !

चौराहो पे लठ से सूज रही हैं देह !

 


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