Zimdari ke bajar me

 ज़िम्मेदारी के बाजार में 

क्या बेच कर हम ख़रीदे 
फुर्सत ए ज़िंदगी 
सबकुछ तो गिरवी पड़ा हैं 
ज़िम्मेदारी के बाजार में 

Zimedari Shayari in Hindi

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