Usne Rato ki Meri Nind udai hai
मेरी रातों की नींद उड़ाई है
सोचते थे भूल जायेंगे उन्हें
मगर किस्मत की अलग ही लिखे हैं
उसके ताजे जख्मो ने न जाने क्यों
मेरी रातों की नींद उड़ाई है ,
जिसे जान से भी ज्यादा चाहती मैं
उसने ही कह दीया तू परायी है
अब तो जीने की चाह ही ख़त्म हो गयी
मैं खुद पूछती हु अपनी ज़िंदगी से
क्यों तू इस जमीं पे आयी हैं ,
उसके ताजे जख्मो ने न जाने क्यों
मेरी रातो की नींद उड़ाई हैं
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