Galatfahmi Ishara ho

Galatfahmi Ishara ho

ग़लतफ़हमी इशारा हो जैसे 
तुम्हारी दोस्ती अब मरने वाली हैं,
ख़ामोशी दस्तक हो जैसे 
तुम्हारी अश्क़ अब उतरने वाली हैं 

फिर होकर बेचैन तुम रास्ता 
कोई गलत न चुन बैठना ,
ये बेचैनी आहट हैं 
तुम्हारी हस्ती अब उजड़ने वाली हैं 

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