Kosis kiya tha maine
कोसिस किया था मैंने
कोसिस किया था मैंने ,
अपने रिस्तो के उलझी डोर सुलझाने की ,
खामोसी का दिवार तोड़कर
बातें आगे बढ़ाने की ,
तेरे होंठो से गुम हो चुकी
वो फिर से मुस्कान सजाने की ,
तेरे आँखों से उतरे हर एक अश्क़ का
सारे मोल चुकाने की
कोसिस किया था मैंने
---------Kosis Shayari----
Kosis kiya tha maine
Apne risto ke uljhi dor suljhane ki,
khamosi ka diwar todkar
bate aage badhane ki,
tere hontho se gum ho chuki
wo fir se muskan sajane ki,
tere aankho se utre har ek ashq ka
sare mol chukane ki
kosis kiya tha maine
Post a Comment