Kudrat ka Kahar bhi Jaruri tha Sahab

 कुदरत का कहर भी जरुरी था साहब 


कुदरत का कहर भी जरुरी था साहब 
वरना हर कोई खुद को खुदा समझ रहा था 

जो कहते थे की मरने तक की फुर्सत नहीं हैं 
वे आज मरने के डर से फुर्सत में बैठे हैं 

माटी का संसार हैं खेल सके तो खेल 
बजी रब के हाथ हैं सरे वैज्ञानिक फेल 

मशरूफ थे सारे अपने ज़िंदगी के उलझनों में ,
जरा सा जमीं क्या खिशकी सबको ईश्वर 
याद आ गए अपने 

ऐसा भी आएगा वक़्त पता नहीं था 
इंसान डरेगा इंसान से पता नहीं था 

कोरोना तो एक बहाना हैं 
ईश्वर को अपना याद जो दिलाना हैं 

अभी भी वक़्त हैं अपने पाप के पछताप कर लो इंसान 
कर लो याद अपने ईश्वर को सब दुःख दूर करेंगे भगवान

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